क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे कर्मों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
AiR – Atman in Ravi द्वारा लिखी गई यह पुस्तक, ‘कर्मा’, आपको आपके कर्मों के रहस्यमयी जगत में ले जायेगी और एक सकारात्मक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
इस पुस्तक में आप यह सब पाएँगे –
– कर्म के सिद्धाँतों का गहरा और व्यापक विश्लेषण।
– कर्म के माध्यम से संतोष, समृद्धि और सकारात्मक जीवन के सूत्र।
– जीवन में नई ऊँचाइयों को छूने के लिए कर्मों की शक्ति।
‘कर्मा’ आपको जीवन के सवालों के उत्तर देने में मदद करेगी और संतुष्टि, सकारात्मकता और सफलता की दिशा में आपका मार्गदर्शन करेगी। यह न केवल आपके कर्मों के अर्थ को समझने में मदद करेगी, बल्कि आपको एक नए दृष्टिकोण से जीवन को देखने की क्षमता भी देगी।
इस ई-बुक के माध्यम से आप अपने कर्मों की सच्चाई को समझ पाएँगे और अपने जीवन को सकारात्मकता और संतुलन की दिशा में ले जा पाएँगे।
💡‘कर्मा’ ई-बुक आपको सच का एहसास करने के लिए प्रेरित करेगी और आपको उस अनदेखी दुनिया का परिचय करायेगी जो हमारे कर्मों में छिपी है।
इस ज्ञानवर्धक ई-बुक ‘कर्मा’ को प्राप्त करें और नए सफल और प्रेरणादायक जीवन की शुरुआत करें। देर न करें!
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शून्य से शुरूवात की,
फ़िर सफल ज़िंदगी हासिल की।
समृद्धि और उपलब्धि पायी।
फिर हुई अनुभूति..
कि सच में हम कुछ भी नहीं।
AiR – Atman in Ravi, एक आध्यात्मिक गुरु, लेखक, गायक, वैश्विक प्रसन्नता के अग्रदूत और एक परोपकारी व्यक्ति हैं| आत्मज्ञान और अपने सत्य की अनुभूति होने के पश्चात, वह अपने लेखन और गायन के माध्यम से लोगों को शाश्वत, सत्-चित्-आनंद का रास्ता खोजने में मदद करने के लिए तत्पर और समर्पित हैं।
AiR ने सफलता, प्रसिद्धि और उपलब्धि का जीवन जीया। पर पिछले ३० वर्षों से इन सब को त्याग कर, उन्होंने बेंगलुरु में बेसहारा लोगों के लिए 2 आश्रम खोले। हर दिन ८०० से अधिक लोगों की देखभाल करते हैं। AiR, लोगों को सड़कों से उठाते हैं और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करते हैं।
किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह, AiR ने अपना जीवन धार्मिक रूप से शुरू किया।
किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह, AiR ने अपना जीवन धार्मिक रूप से शुरू किया।
१९९५ में उन्होंने एक शिव मन्दिर का स्थापित किया, जिसमें शिव शंकर की ६५ फीट ऊँची मूर्ती स्थापित है। उसके पश्चात, अपने गुरु से प्रेरित हो कर, उन्हें इस बात का एहसास हुआ
कि भगवान मंदिर में नहीं, परंतु हमारे अंदर रहते हैं।
उन्होंने इस मन्दिर का नाम बदलकर – शिवोहम शिव मंदिर रख दिया। अब वह शिव की आराधना नहीं पर शिव के माध्यम से, सर्वोच्च अमर, ईश्वरीय शक्ति, जो निराकार, जन्महीन और मृत्युहीन है और सर्वत्र व्याप्त है, उसकी उपासना करते हैं।
AiR, एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में लोगों को आत्मज्ञान तक पहुँचने में मदद करना चाहते हैं।
AiR ने जीवन, कर्म, मृत्यु, पुनर्जन्म, आदि, आध्यात्मिक शैली में ७५ से अधिक किताबें लिखी है और १४०० से अधिक भजनों की रचना की है और उन्हें गाया भी है। उनका संगीत, अपने नाम को सार्थक करता है – ‘जीवन संगीत’ कहलाता है।
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